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लेखनी प्रतियोगिता -18-Jun-2023- पिता की कुर्बानी

          Father's day special


पिता होना अपने आप में एक एहसास है,
हर पल अनकहे रिश्तों की मिठास है।

गर्भ में पलने वाले शिशु से अनजाना लगाव है, 
जिसे देखा नहीं अब तक उसके आने का इंतज़ार है।

मां तो जी रही उसे क्योंकि वो उसके शरीर का एक भाग है,
पर जिस पिता ने ना महसूस किया उसे, फिर कैसे वो खिंचा चला आता उसके पास है।

जो हर पल अपनी ही दुनिया में जीता था, आज बदल गया उसके जीने का हर अंदाज़ है।
एक उम्मीद से ही आज वो हो गया जिम्मेदार है।

जो था मस्तमौला, जीवन को उसने अपने ही अंदाज़ में तौला, आज हो गया समझदार है, 
ना फिक्र अब खुद की, बस रहता हर समय उसका ही दिमाग में ख्याल है।

जिसने कभी खुद के लिए कुछ ना मांगा था, 
जो मिल गया उसी में जीवन काटा था।

आज हाथ जोड़े भगवान से करता मिन्नत हज़ार है, 
ना आए उसके अंश पर आंच कोई, उसकी सलामती के लिए खुद भी मिटने को तैयार है।

हे ईश्वर, पूछती है रसम तुझसे कैसी ये अनोखी माया है,
नौ महीने जो दर्द मां सहती है, उसके हर इक दिन में बाप ने भी बहुत कष्ट उठाया है।
फिर भी हर जगह मां के ही त्याग का बोलबाला है,
पिता के असीम लगाव को ना किसी ने तौला है।

जिसे ना देखा अभी, फिर भी ना जाने कैसे उससे दिल लगाया है।
जो आया ना अभी इस दुनिया में, फिर भी पिता ने उसपर अपने सुख चैन को लुटाया है।

ईश्वर इतनी कृपा करना,
उस औलाद के मन में अपने पिता के लिए बेहिसाब प्यार भर देना।

पिता का जीवन सार्थक हो जाएगा,
उसके हर बलिदान का फल उसे मिल जाएगा।


     *****Samridhi Gupta 'रसम'*****


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6 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

19-Jun-2023 02:32 AM

👏👌

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Varsha_Upadhyay

19-Jun-2023 12:59 AM

बहुत खूब

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